Thursday, October 29, 2009

अनुकथन

आजकल लेखको की बाढ़ सी आ गयी है ,जिसे नौकर नहीं मिलती,व्यवसाय का ठिकाना नहीं ,रोटी के लाले पड़े हैं ,वे सब फूहड़ उटपटांग अवम अश्लील लेखन के सहारे जन सामान्य को भ्रष्ट कर अप्नाउल्लू सीधा कराने में जुटे हैं मगर ऐसे लेखकों का अभाव है जो अध्ययन मनन चिंतन अभ्यास निरीक्षण परीक्षण अवम आत्मसात कर ,'सर्वे भवन्तु सुखिना अर्वे सन्तु निरामय 'के महान उद्देश्य से लेखन के क्षेत्र में उतरते हैंफिर ऐसे विषय या क्षेत्र में जिसका उद्भव ही सन १९५५ में इस लेखक द्वारा हुआ हो उसमें सदसाहित्य का सर्जन बड़ा ही कठिन है .फिर गढ़य्लेखन जितना सरल है पद्य लेखन उतना ही कठिन है वो भी दोहा जैसे छंद में हास्य योग जैसे विषय को समेटना बडाही कठिन काम है परतु डॉक्टर जैजैराम आनंद ने बड़ी कुशलतासफलता के साथ अपनी कृति,हास्य योग आनंद में कर दिखाया है ।
डॉक्टर आनंद ने पुस्तक ओ तीन अध्यायों में समेटा है :पहले अध्याय में हास्य महिमा हास्य के बिभिन्न आधार हास्य ओग विज्ञान तथा दूसरे में हास्य्योग व्यायाम्केंद्र अवम गतिविधियाँ ,हास्य योग व्यायाम के विविध रूप शारीरिक व्यायाम ,आसन प्राणायाम ,ताली वादन हसना गाना नाचना तथा तीसरे में प्राणायाम का अर्थ ,महत्त्व भेद के साथ स्वामी रामदेव जी के प्राणायामों के साथ 'सम्पूर्ण हास्य ओग व्यायाम का मॉडल दोहो में रचा है
थोड़े शब्दों में डॉक्टर आनद ने इस पुता द्वारा लौघ्टर क्लब ,हास्य योग आन्दोलन के प्रचार प्रसार का रास्ता प्रस्तुत कर एक एतहासिक कार्य किया है जिसके लिए वे बधाई के पात्र हैं।
डॉक्टर मदन कटारिया
संस्थापक अंतर्राष्ट्रीय हास्य क्लब