यह सर्वमान्य बात है कि दुनिया में पृथ्वी ३/४ भाग पानी की जागीर है और हमारे शरीर मेंभी ७५% पानी है.यह कहना सर्वथा उचित है कि जहां पानी है बहाँ जीवन है जहां जीवन है वहाँ पानीहोंन्ही चाहिए 'बिन पानी सब सून' तभी तो कहा गया है ।
ब्रह्मा रचने जब चले ,आदि काल में श्रष्टि
सबसे पहले जा पडी , पानी पर ही द्रष्टि
इसलिए पानी पर गढे मुहावरे से भाषा पानीदार होजाती हैं प्यासे चेहरे का पानी उतर जाता है .दुश्मन को पानी प्यार से पिला दिया जाय तो वह भी पानी पानी हो जाता है .आज हम यैसे काम करने में नहीं चूकते जो हमें कदम कदम पर पानी पिलाने की परस्थितियाँ उत्पन्न कर देते है .हमारी संवेदनाएं पानी के मोल बिक रहीं हैं .वैज्ञानिक जहाँ चाँद ,मंगल आदि पर जीवन खोजते है वहाँ पानीऔर पानी के तत्वों के पीछे ,पानी पीकर पानी से हाथ धोकर पद जाते है .थोड़े शब्दों में :
जीवन गंध बसे वहाँ ,जहा नीर का बास
जल के बिना न जी सके धरती या आकाश
अब आइये ,जल श्रोतों की दयनीय स्थिति पर विचार करें .जब वे स्वम प्राण हीन हो जायेगें तो वे संसार को हरा भरा कैसे रख सकेगे ?कुँआ ,बाबडी ,सर सरिता का 'जलबल' घट रहा है :
नद नाले नहरें सभी जल विहीन गति मंद
तटबंधों के होंठ पर जल अभाव के छंद
कारण एक नहीं अनेक हैं :जन संख्या का कीडों मकोडों की तरह बढ़ना ,पानी का बिना सोचे समझे दुरपयोग ,वन उपवन को कांट छाँट कर कान्क्रींत के जंगल उगाना विरासत में मिले जल स्रोंतों आदि का दम तोड़ना ,कुआँ बाबडी तालाबों की संख्या घटना .गंगा यमुना का मटमैला पानी जीवन के लिए घातक हो गया .भूजल का बेरहमी से दोहन .प्रदूषण की मार से ग्लोविंग वार्मिंग और वर्षा का रूठना .भूजल का स्तर दिन प्रतिदिन कम होना
परिणामत: जल अभाव जल संकट सूखा अकाल भीषण गरमी ,जिधर देखिये उधर है धूप ही धूप,भूचाल -बवंडर ,सुनामी का तांडव नृत्य रंग दिखा रहा है .जल अभाव और जल संकट के आए दी गाँव ,शहर ,झुग्गी झोपडिओं में अनचाहे द्रश्य देखने को मिलते हैं .घट के घट खाली पड़े ,आपस में तूं तूं मैं मैं .मध्यप्रदेश में झाबुआ ,खरगोन में कहीं सप्ताह में ,कहीं दस दिन में एक दिन पीने का पानी मिलता है सुदूर
गाँव में स्थिति और भयावह है .देश के अनेक प्रान्तों में जल आभाव ने कलह के बीज बो दिए हैं ।
गाँव में कुँआ बावडी तालाब मुहल्ले जाती पांति के हिसाब से बाते होते हैं .इसलिए जल संकट से ग्रस्त विशेष वर्ग को आक्रोश का शिकार होना पड़ता है .आधुनिक जल स्रोतों से जमीन की विभिन्न परतों को भेदकर पीने का पानी मिलता है जिसमे मिला आर्सेनिक फ्लोराइड अनेक बीमारियों को जन्म देता है ,साथ ही वे मौत के कुआँ साबित हो रहे है जिनमे आए दिन बच्चे गिर कर मौत के शिकार होते है या उन्हें बचाने समय और पैसा की बर्बादी होती है गरीब झुग्गी झोपडिओं के रह्बासियों को दूर दूर से पानी लाना पड़ता है जिसमें उनका समय शक्ति वरबाद होताहै जिससे मानसिक तनाव और आर्थिक तनाव का कारण बँटा है जल अभाव , कल कारखाने ,उध्द्योग जल अभाव में दुनिया को अंधेरी सुरंग्में धकेल देगा.वैश्वीकरण ,उदारीकरण ,बाजारवाद सब धरे के धरे रह जायेगें ,
सन २०००७ में ४३ देशों के७०करोद लोग जल सकत से जूझ रहेथे सन २०३५ तक तीन अरबको चूने का अनुमान है ,इसी प्रकार विश्व की प्रमुख नदियों पर जल संकट आने से विश्व की एक तिहाई आबादी खतरे में पद जायेगी .विश्व जल दिवस २००७ के अवसर पर सयुक्त्रश्त्रके सचिव वां के मून नेज्ल संकट के भयावहता को देखते हुए खा था ,'दुनिया ममें पान्नी की स्थिति बहुत नाजुक बनी हुई है .भारत के दो तिहाई आबादी को पानी उपलब्दनहीं हैं ।
और पाँच वर्ष से कम उम्र के लगभग २० लाख बच्चे दूशिर्ट पानी के उपयोग से मर रहे हैं अफ्रीका के ७०%अस्पतालों में दूषित पानी पीने के काम आता है ----- अमरीका के २१ प्रमुख शहरों में दूषित पानी पीया जाता है.७मिल्लिओनअमेर्कां दुह्सित टाप के पानी से बीमार होत हैं ।
संक्षेप में,पानी की संकट की घडियां विश्व में हाहाकार मचा देंगी और दुनिया की नींद हराम कर देंगीं नीचे लिखी समस्याएं :
१.पानी का निजीकरण २.राशन प्रणाली ३.सतोर्यों के लिए अनुकूल घडियां ४.नए जल स्रोत ह्कत्रेव की घंटी 5राजनीति का मुद्दा
राजनीति की आँख में ,पानीका भूगोल
बदलेगी जब पैतरे ,आयेगा भूडोल
६.तीसरा विश्व युद्ध भूओसम्मेलन में सबने एक स्वर में कहा :जल अभाव की कोख में विश्व युद्ध के बीज ' सोचिये भावी पीढी के लिए जल अभाव की भयाबह्ता से बढ़कर नीद हराम करने बाली कौन सी समस्या हो सकतीहै?
नोट :जल संकट की भयावहता लेख का सारांश लेख में प्रयुक्त सभी दोहे कवि की प्रसिद्द ,बूँद बूँद आनंद आनद प्रकाशन ,प्रेम निकेतन ए७/७०
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मोब:०९८२६९२७५४२ वेब साईट ;ह्त्त्प//कवित्मेंंद
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Friday, February 13, 2009
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lekh bahut hi prabhottak hai
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