हाथ उठाये खड़े हैं, कुँआ बाबड़ी ताल ।
एक बूँद पानी नहीं, मुँह बाए है काल ।।
सरिता जल का घाट से, चला बहुत संवाद ।
तुलसी ने चंदन घिसा, रहा न शेष विवाद ।।
नवल-धवल साड़ी पहन, नदिया दुलहन रूप ।
शैल-शिखर व्याहन चले, सजे-धजे जस भूप ।।
खेल खेलती लाटरी, नल बांटे जब नीर ।
जिसका क्रम में नाम हो, हरती उसकी पीर ।।
राजनीति की आँख में, पानी का भूगोल ।
बदलेगी जब पैतरे, आयेगा भूडोल ।।
घूँघट पानी ले चला, लुका छिपाकर रूप ।
दिखा गई बरबस हवा, मुस्कानों की धूप ।।
डॉ। जयजयराम आनंद
Sunday, May 31, 2009
Friday, May 22, 2009
बूँद बूँद आनंद
बूँद बूँद आनंद
डॉक्टर जयजयराम आनंद का दोहा संग्रह ,बूँद बूँद आनंद ,कथ्य जल और उसके चारों ओर घूमता है जो लगभग ५५० दोहों में सिमटा बूँद बूँद आनंद है .इन दोहों में इतिहास ,भूगोल ,संस्कृति ,ज्ञान विज्ञान भूगर्भ अवम जल विज्ञान ,सभ्यता काविकास ,सृजन aअदि का समावेश है .ग्यारह खंडों में पसरा जल का वर्णन मिलेगा :जल महिमा .जल संकृति ,औषधीय जल ,जल प्रवृति ,जल प्रदूषण ,जल संकट ,जल नीति बनाम राजनीति ,जल चेतना जल संकट समाधान अवम आशेष ।
प्रकाशक: आनंद प्रकाशन प्रेम निकेतन ,ए७/७० ,ईमेल;अशोका सोसिएटी ,अरेकालोनी भोपाल [म प्र]४६२०१६।
जल महिमा
घर आए महमान का ,पानी से सत्कार
पानी को पूंछे बिना ,सब होगा बेकार
जहां कहीं भी जाईए,पहली होगी बात
पानी को पूंछे बिना ,सब होगा बेकार
पानी में मिल जायेगा ,किया धरा सत्कार
पानी यदि परसा नहीं,पानी -सा व्यावहार
बादल सूरज खेलते ,आँख मिचौनी खेल
दुनिया दुबली हो रही ,पढ़ पानी अभिलेख
एक बार भोजन मिले ,पानी बारम्बार
थका पथिक पानी पिए ,बढ़ जाती रफ्तार
पानी पानी हो गए ,दुश्मन पानीदार
पानी परसा प्रेम से ,किया सहज व्यवहार
मीठे पानी के बिना ,नर नारी हैरान
प्यासे की पानी बिना ,पलटे नहीं जबान
बूँद बूँद का मोल है ,पानी है अनमोल
सागर सरिता ताल का ,पानी के बल मोल
डॉक्टर जयजयराम आनंद का दोहा संग्रह ,बूँद बूँद आनंद ,कथ्य जल और उसके चारों ओर घूमता है जो लगभग ५५० दोहों में सिमटा बूँद बूँद आनंद है .इन दोहों में इतिहास ,भूगोल ,संस्कृति ,ज्ञान विज्ञान भूगर्भ अवम जल विज्ञान ,सभ्यता काविकास ,सृजन aअदि का समावेश है .ग्यारह खंडों में पसरा जल का वर्णन मिलेगा :जल महिमा .जल संकृति ,औषधीय जल ,जल प्रवृति ,जल प्रदूषण ,जल संकट ,जल नीति बनाम राजनीति ,जल चेतना जल संकट समाधान अवम आशेष ।
प्रकाशक: आनंद प्रकाशन प्रेम निकेतन ,ए७/७० ,ईमेल;अशोका सोसिएटी ,अरेकालोनी भोपाल [म प्र]४६२०१६।
जल महिमा
घर आए महमान का ,पानी से सत्कार
पानी को पूंछे बिना ,सब होगा बेकार
जहां कहीं भी जाईए,पहली होगी बात
पानी को पूंछे बिना ,सब होगा बेकार
पानी में मिल जायेगा ,किया धरा सत्कार
पानी यदि परसा नहीं,पानी -सा व्यावहार
बादल सूरज खेलते ,आँख मिचौनी खेल
दुनिया दुबली हो रही ,पढ़ पानी अभिलेख
एक बार भोजन मिले ,पानी बारम्बार
थका पथिक पानी पिए ,बढ़ जाती रफ्तार
पानी पानी हो गए ,दुश्मन पानीदार
पानी परसा प्रेम से ,किया सहज व्यवहार
मीठे पानी के बिना ,नर नारी हैरान
प्यासे की पानी बिना ,पलटे नहीं जबान
बूँद बूँद का मोल है ,पानी है अनमोल
सागर सरिता ताल का ,पानी के बल मोल
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